fishar ka ilaj in hindi| फिशर का इलाज
जानिए फिशर का इलाज (fishar-ka-ilaj-in-hindi). फिशर के कौन -कौन से इलाज उपलब्ध हैं और कौन सा इलाज सबसे कारगर है। क्या फिशर में सर्जरी जरुरी होती है ?
लेख की विषय - सूची
फिशर क्या है?
मल द्वार की चमड़ी में कट या चीरे को ऐनल फिशर कहते है। फिशर के कारण मरीज को मल त्यागते समय दर्द होता है , और ये दर्द काफी समय तक रह सकता है। कई मरीजों में मल के साथ खून भी आता है।
फिशर किसी को भी हो सकता है। चाहे वो किसी भी उम्र का हो, – और लिंग, डायबिटीज , स्मोकिंग, डाइट, और अन्य किसी कारकों से फिशर का कोई लेना देना नही है।
कई ऐनल फिशर अपने आप ठीक हो जाते है, बिना किसी इलाज के। कई ऐसे भी होतें है जो ठीक नही होते और उनकी वजह से दर्द की समस्या मरीजों को होती है।
अगर फिशर या चीरा ठीक नही होता और खुला रहता है उसकी वजह से दर्द होता है। दर्द की वजह से ऐनस(मलद्वार) के आस पास की मांसपेशियों में ऐंठन होती है, ऐठन की वजह से उस हिस्से में खून का बहाव कम हो जाता है, जिसकी वजह से हीलिंग( घाव भरने की प्रक्रिया) नही हो पाती।
फिशर का इलाज इन हिंदी। fishar ka ilaj in hindi
क्या फिशर अपने आप ठीक हो जाता है?
फिशर दो प्रकार के होते है-
1- एक्यूट ऐनल फिशर
2- क्रोनिक ऐनल फिशर
एक्यूट ऐनल फिशर वो होते है जिनकी अवधि 6 हफ्तों से ज्यादा नही होती। इस प्रकार के फिशर मरीजों में ज़्यादातर देखने को मिलते है और 90% एक्यूट ऐनल फिशर अपने आप घरेलू उपायों की मदद से ठीक हो जाते है।
क्रोनिक ऐनल फिशर वो होतें है जिनकी अवधि 6 हफ्तों से ज्यादा होती है। 10 में से 4 ही क्रोनिक फिशर ऐसे होतें है जो बिना किसी दवा के घरेलू उपायों से ठीक होते है।
मिशिगन मेडिसिन( Michigan Medicine) के एक लेख के अनुसार अगर फिशर की अवधि 8 से 12 हफ्तों से ज्यादा हो जाती है तो उसे ठीक करने के लिए दवाओं का उपयोग आवश्यक हो जाता है।
दी जाने वाली दवाओं में शामिल है –
1- नाइट्रोग्लिसिरिन क्रीम (Nitroglycerin cream)
2- हाई ब्लड प्रेशर मेडिसिन्स
3- बोटुलिनम टोक्सिन ( Botox) के इंजेक्शन
अगर दवाओं से भी फिशर ठीक नही होता तो फिर सर्जरी ही आखिरी रास्ता बचत है।
मिशिगन मेडिसिन( Michigan Medicine) के एक लेख के अनुसार, ऐनस(मलद्वार) के आस पास के छेत्र में एक muscle relaxant क्रीम का उपयोग किया जाता है जो कि लगभग 70% मरीजों में फिशर ठीक करने में कारगर है।
Muscle relaxants ऐनस की मांसपेशियों में तनाव को कम करती है जिससे उस हिस्से में खून का प्रवाह बढ़ जाता है जिस के कारण घाव भरने की प्रक्रिया में तेजी आती है। Muscle relaxants के अलावा stool softner( मल को नरम करने वाले पदार्थ) भी दिए जाते है जिससे मल त्याग करते समय होने वाले दर्द में आराम मिले।
फिशर की सर्जरी
जब कोई उपचार काम नही करता तब, उस इस्तिथि में सर्जरी की जाती है। आमतौर पे इसे फिशर का सबसे असरदार इलाज मन जाता है।
दो तरीके की सर्जिकल तकनीक फिशर के लिए इस्तेमाल की जा सकती है।
1- Lateral sphincterotomy
इस प्रक्रिया में ऐनस के आस पास मौजूद मांसपेशियों (Anal sphincter) का एक छोटा सा हिस्सा निकल लिया जाता है।
ये मांसपेशियां मलद्वार के चारों ओर सर्कुलर(वृत्त ) फॉर्म में होती है, और मलद्वार पे एक द्वारपाल की तरह काम करती है।
मलद्वार की इन मांसपेशियों से एक छोटा हिस्सा निकल जाने से ऐठन में कमी आती है और रक्त का प्रवाह वह बढ़ जाता है जिससे घाव( फिशर)जल्दी भर जाता है।
ये फिशर ठीक करने का सबसे कारगर तरीका है और ज्यादातर मरीज़ 2 से 4 हफ्तों में पूरी तरह ठीक हो जाते है।
अगर आप को देखना है की ये सर्जरी कैसे होती है तो मुझे youtube पे Surgery E-learning द्वारा डाला गया ये दिलचस्प वीडियो मिला है जिसे आप नीचे देख सकते है। मैं पहले ही आप को सावधान करे देता हूँ की कमज़ोर दिल वाले इसे न दिखें ,तो बाद में न केहना की आप ने चेताया नहीं।
2-Advancement anal flaps
इस तकनीक में शरीर के दूसरे हिस्सों से स्वस्थ tissue (ऊतक) लेकर उससे फिशर को भरा जाता है।
बिना सर्जरी के फिशर के क्या इलाज होते है?| fishar ka ilaj in hindi
ज्यादातर मरीज़ अपने आप ही घरेलू उपायों द्वारा ठीक हो जाते है, और जो अपने आप नही होते उनको दवाएंयो द्वारा ठीक किया जाता है। कुछ गम्भीर मामले जो इन दोनों तरीकों से ठीक नही होते बस उनमे ही सर्जरी की ज़रूरत पड़ती है।
Webmd वेबसाइट के एक लेख के अनुसार ऐनल फिशर का कारण constipation या diarrhea भी हो सकता है।
सभी मामलों में आप निम्न लिखित घरेलू उपायों को अपना सकते है। ये उपाय आप को इस रोग से होने वाले लक्षणों से राहत देंगे और हीलिंग प्रोसेस( घाव भरने की प्रक्रिया) को तेज करेंगे।
1- ज्यादा पानी पियें ।
2- फाइबर युक्त भोजन का सेवन करें- constipation से बचने के लिए 20 से 35 ग्राम फाइबर का सेवन हर दिन करें।
खाने में फाइबर की मात्रा बढ़ाने के लिए निम्नलिखित उत्पादों का सेवन बढ़ाएं: गेंहू, बाजरा, दलिया, सबूत अनाज, मटर, सेम, इत्यादि।
3- फाइबर suppliments का उपयोग करें- अगर भोजन से ज्यादा फाइबर नही मिल पा रहा है तो बाजार में आने वाले फाइबर suppliments की सहायता लें।
4- लक्सटिवे का उपयोग- लक्सटिवे का उपयोग माल को ढीला और मुलायम करने के लिए किया जाता है, इसके उपयोग से माल त्यागने में दिक्कत काम होती है।
5- मल त्यागते समय ज्यादा pressure( दबाव) डालने की कोशिश न करें और शौचालय में ज्यादा देर तह न बैठें।
6- Alcohol और caffeine का सेवन न करें क्योंकि ये dehydration करती है।
सूचना: किसी भी treatment( उपचार) को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लेलें।
दवाइयों द्वारा फिशर का इलाज | fishar ka ilaj in hindi
जब फिशर अपने आप ठीक नही होता तो घाव भरने की प्रक्रिया तो तेज करने के लिए निम्नलिखित दवाइयों का इस्तेमाल करते है।
1- Glyceryl trinitrate
2- Topical calcium channel blocker
3- Botulinum toxin injection
Glyceryl trinitrate
जैसा कि इस लेख में मैं पहले बात चुका हूं कि फिशर की वजह से दर्द होता है जिससे ऐनस के आस पास की मांसपेशियों में ऐंठन आ जाती है और उससे रक्त का प्रवाह उस हिस्से में काम हो जाता है और घाव भरने में दिक्कत आती है।
Glyceryl trinitrate उन रक्त कोशिकाओं की ऐठन को दूर कर उन्हें फैला देता है जिससे ऐनस के आस पास रक्त का प्रवाह बढ़ जाता है और घाव जल्दी भरने लगता है।
सिरदर्द इस दवाई का बहुत ही सामान्य दुष्प्रभाव( side effect) है। लगभग आधे मरीज़ जो इस दावा का इस्तेमाल करते है उनमे सिदर्द शिकायत मिलती है।
Glyceryl trinitrate का उपयोग बच्चों में नही करना चाहिए और गर्भवती महिलाओं में सावधानी बरतनी चाहिए।
Topical calcium channel blocker
Topical calcium channel blocker को सीधा ऐनस पे लगाया जाता है। Topical calcium channel blocker spinchter muscle में तनाव को कम कर देते है जिससे फिशर में रक्त का प्रवाह बढ़ जाता है और घाव बढ़ने में मदद मिलती है।
Topical calcium channel blocker के कुछ दुष प्रभाव हो सकते है जैसे: सिरदर्द, चक्कर आना, जिस जगह पे दावा का इस्तेमाल किया है उस जगह पर खुजली होना, इत्यादि।
Botulinum toxin injection
Botulinum toxin का इस्तेमाल तब किया जाता है जब बाकी दवाएं काम नही आती। यूँ तो Botulinum toxin एक बहुत ही जानलेवा जहर है पर बहुत थोड़ी मात्रा में इसका इस्तेमाल सुरक्षित है।
इसका इस्तेमाल ऐनस के इर्द गिर्द मौजूद spinchter muscle को paralyse( लकवा मरना) करने के लिए किया जाता है। इससे ऐनस के इर्द गिर्द मौजूद मांसपेशियों में ऐठन नही होती और घाव भरने में आसानी होती है।
Botulinum toxin injection का असर 2 से 3 महीनों तक रहता है , आमतौर पे इतना समय काफी है फिशर के ठीक होने के लिए।
एक रिसर्च के अनुसार 98% मरीज़ nonsurgical treatment ( बिना सर्जरी के दवाइयों द्वारा उपचार) से ही ठीक हो जाते है। शोध ये भी बताता है कि Nifedipine और botulinum toxin का कॉम्बिनेशन nitroglycerin और pneumatic dilatation से ज्यादा कारगर होता है।
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